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Wednesday, 10 August 2016

SHANTI KA ANUBHAV

आप जिस शांति, जिस ईश्वर की तलास बहार कर रहे है, वो आपको बहार कभी नहीं मिलेगा,
क्योंकि वो तो तुम्हारे घट में है,
वो हर एक मनुष्य के अंदर विराजमान है,
बस जरुरत है तो उसे जानने की उसका अनुभव करने की, अपने अंदर जाकर उस ईश्वर उस शांति का अनुभव करने की, और आपको अपने अंदर जाने में और उस आनंद का शांति का अनुभव करने में मै आपकी मदत कर सकता हु |
लोग भगवन पर विस्वास करते है क्युकी वो लोग मानते" है, और हम भगवन को जानते है अनुभव करते है, जबकि मानना एक बात है, और जानना एक बात, जो जान जाते है उनको विस्वास करने की जरुरत ही नहीं, और मानने वाले मानते ही रहते है । जानो" मानो नहीं जानो जानो उस शक्ति को, उस ईश्वर को, उस शांति को उसका अनुभव करो जीते जागते, मारने के बाद नहीं जीते जागते, उसका अनुभव लड़ाई के मैदान में भी किया जा सकता है।
" श्री प्रेम रावत,

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