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Friday, 19 August 2016

anmol swans

अनमोल स्वांसा"
एक स्वांस ! जो जीवन लाती है I जीवन ! जो अनमोल है, जिसके कारण हजारों ख्वाहिशें, उम्मीदें, और सपनें हैं I जीवन में स्वांस सीमित (लिमिटेड) है पर ख्वाहिशें, चाहत (असीमित) अनलिमिटेड I लिमिटेड स्वांसों के साथ अनलिमिटेड ख्वाबों को साकार करने का प्रयास, अंततः अपूर्णता के साथ घोर विषाद का कारण बनता है I अपूर्ण लालसाओं के साथ एक दिन जीवन पूर्णता को प्राप्त कर लेती है, सीमित स्वांसों का खजाना खर्च कर अंतत: हम दुःख और विषाद के साथ इस संसार से विदा हो लेते हैं I पर यह माया का फंदा है, मनुष्य जीवन की नियति नहींI मनुष्य का जीवन परमात्मा ने असीमित सुखद अनुभूतियों से लबालब भर रखा है I जरुरत उस अद्वितीय संसार के खोज की है, जहाँ पहुँच कर मनुष्य शांतचित्त और आनंद से भर उठता है, दुःख और विषाद की सीमा जहाँ समाप्त हो जाती है, और जिसकी प्रकृति स्थायी है, असफलता-सफलता जहाँ बेअर्थ है I यहाँ पहुँच कर स्वांसा पर पूर्णविराम लगे तो जीवन को सद्गति प्राप्त हुई, तन के बंधन से मुक्त हो उसी आनंदलोक के स्थायी निवासी बन गए I
लाख माया का आकर्षक फंदा इर्द-गिर्द कसा हो, परमात्मा ने जो जिज्ञासा दी है उसे जगाया जाए तो सारे फंदे टूट जाने हैंI यह पृथ्वी कभी भी महापुरषों से खाली नहीं रही, आज भी नहीं है, दिल में जिज्ञासा हो, जीवन सफल करने की लालसा हो, तो इस सुन्दर जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है, इन अनमोल स्वांसों को ब्यर्थ जाने से बचाया जा सकता हैI बचपन का आनंद चला जाना है, जवानी के उन्माद का भी जल्दी अंत हो जाना है, बुढ़ापा कष्टों के साथ दुष्कर है पर यह एक आनंद है जो जीवन के किसी भी अवस्था में समान रूप से आनंदकारी हैI परमपूज्य सतगुरु महाराज जी ने दुनियां के मनुष्यों को जो ज्ञान-मन्त्र बख्सा है, उसने लाखों-करोडो जीवन में आनंद की दिये जलाये हैंI अगर हम उनमे से एक न बन पायें तो यह इस जीवन का सबसे बड़ा दुर्भाग्य होगाI संसय है तो कहाँ है? कर्म आपका, अनुभूति आपकी, लागत शून्य और अंतत: निर्णायक भी आप.
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